मीरा और मीरा

लेखक: महादेवी वर्मा (महादेवी वर्मा के मीरा विषयक व्याखान )
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
संस्करण 2013
मीरा और मीरा

‘मीरा और मीरा ‘ छायावाद की मूर्तिमान गरिमा महियसी महादेवी वर्मा के चार व्याख्यानों का संग्रह है।महादेवी वर्मा ने ये व्याख्यान जयपुर में हिंदी साहित्य सम्मलेन की राजस्थान शाखा के निमंत्रण पर दिए थे।

इन चार व्याख्यानों के शीर्षक हैं – मीरा का युग,मीरा की साधना, मीरा के गीत और मीरा का विद्रोह। इनमें महादेवी ने मध्यकालीन स्त्री की स्थिति का विशेष संदर्भ लेकर भक्ति, मुक्ति,आत्मनिर्णय,विद्रोह और निजपथ निर्माण आदि को विश्लेषित किया है।

‘ मीरा और मीरा ‘को प्रकाशित पुस्तक स्त्री विमर्श के ‘समय विशेष’ में स्त्री अस्मिता के दो दीपशिखाओं व्यक्तित्वों का ‘रचनात्मक संवाद ‘महत्वपूर्ण है।इन दोनों दीपशिखाओं के आलोक में परंपरा और आधुनिकता के जाने कितने निहितार्थ स्पष्ट होते हैं।’ श्रृंखला की कड़ियां’ की लेखिका ने ‘सूली ऊपर सेज पिया की ‘का गायन करने वाली रचनाकार के मन में प्रवेश कर किया है। यह दो समयों (मध्यकाल और आधुनिक काल) का संवाद भी है।

यह सोने पर सुहागा की कहा जाएगा कि प्रस्तुत पुस्तिका की भूमिका सुप्रसिद्ध कवि, कथाकार व विमर्शकर अनामिका ने लिखी है कहना ना होगा कि यह लंबी भूमिका एक मुकम्मल आलोचनात्मक आलेख है।
अनुक्रम में भूमिका : कंकरीट की सड़के और मीराबाई, मीराबाई का युग,मीरा की साधना, मीरा के गीत,मीरा का विद्रोह।