मीरा :कविता संग्रह समीक्षा

पुस्तक परिचय : मीरा: कविता-संग्रह (51 कविताएं )
सम्पादक : डॉ. मंजु रानी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
संस्करण : 2019
मूल्य : 200 रुपए पेपर बैक, 250 रुपए सजिल्द

डॉ. मंजु रानी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली में हिन्दी पीएच.डी. मीरा की काव्य भाषा विषय पर शोध कर एक नई ऊंचाइयां को छुआ है। मीरा विषय पर पीएच.डी. के साथ साथ अन्य पुस्तकें ‘मीरा मेरी यात्रा’, ‘स्त्री संघर्ष और मीरा (तब और अब), ‘भक्ति साहित्य में प्रेमाभिव्यक्ति और मीरा’ पुस्तकों का सम्पादन किया है।डॉ. मंजु रानी ने अपनी कविताएं 1. ‘मीरामय होली’, 2. ‘मीरा और मैं’, 3. ‘मीरा बन गई हूँ मैं’, 4. ‘मीरा और मेरी यात्रा’, 5. ‘मीरा कहाँ से आई तुम’, 6. ‘मीरा क्या है’, के माध्यम से अपना मीरा के प्रति अन्यन्य प्रेम प्रकट किया है। वे मीरा भक्त बन गई हैं। इस 51 कविताओं के संग्रह में विभिन्न राज्यों के कवियों से प्राप्त कविताओं का संकलन करके ‘मीरा: कविता-संग्रह’ पुस्तक प्रकाशित की है।

मीरा: कविता-संग्रह के आरम्भ में अशोक कुमार अवस्थी ‘अन्जाना’ की कविता ‘निश्चल प्रेम’ से मीरा नाम ही नहीं एक साधना है। आतिरा जी केरल से अपनी कविता में ‘तेरी हूँ मैं कान्हा’ में अपने आपको मीरा रूपी बना कान्हा को समर्पित कर रही हैं।

श्री डी.पी. सिंह वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिल्ली विश्वविद्यालय ने ‘मीराबाई’ कविता में, ‘मैं भी मीरा तू भी मीरा’ मेरे मन में आन बसी मीरा कविता लिखी है। डॉ. गुलाब चन्द पटेल की ‘मीरा की प्रीत’ में उन्होंने मीरा का त्याग जो राजमहल छोड़कर, किसी भी मोह माया में न पड़कर उनका वर्णन किया है। डॉ. अंजु अग्रवाल महाराजा अग्रसेन कॉलेज दिल्ली ने ‘मीरा तुम विद्रोही नारी’ का स्वरूप मीरा को बता कर खुद मीरा बनना चाहती है। डॉ. कैलाशी मीणा दिल्ली विश्वविद्यालय ने ‘श्याम रंग’ कविता में बताते हैं कि मीरा श्याम रंग से रंग गई है, और वह भी मीरा की भक्ति के साथ श्याम रंग से रंग गई है, डॉ. कुसुम दत्त मोंगा ने ‘अमर मीरा’ मंे मीरा को भक्त शिरोमणि और अद्भुत हीरा बताया है। डॉ. जितेंद्र कुमार राजस्थान विश्वविद्यालय राजस्थान ने ‘मीरा का त्याग’ में नारी उत्थान के लिए समर्पण, त्याग और विद्रोह में मीरा के नाम को साकार बताया है। डॉ. दीनदयाल दिल्ली विश्वविद्यालय ने ‘प्रेम का यथार्थ’ कविता में प्रेम का अहसास करके वह खुद मीरा बन जाना चाहा है। डॉ. नामदेव किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी कविता ‘डियर मीरा’ में ‘भक्त संत वैरागी थी तुम, घोर अन्याय के बीच भी गीत प्रेम के गाती थी तुम, सुन्दर रूप का वर्णन किया है। डॉ. योजना कालिया विवेकानंद कॉलेज दिल्ली ने ‘क्यों करती हो प्यार’ कविता में बताया है कि उसके भीतर भी एक मीरा रूपी स्त्री रहती है। डॉ. राकेश ‘चक्र’ ने ‘मीरा प्रेम दीवानी है’ में मीरा को प्रेम दीवानी बताया है, डॉ. राखी ने ‘मीरा एक अनोखी प्रेम दीवानी’ कविता में मीरा जैसा प्रेम श्याम के प्रति बिरला ही इस संसार में प्राप्त कर सकता है, डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने ‘मैं श्याम दीवानी हूँ मीरा’ कविता में मीरा को श्याम दीवानी बताया है, डॉ. शीतल ने ‘प्रेम गाथा’ कविता में मीरा के अनन्य प्रेम की गाथा का वर्णन किया है, डॉ. सुनीता ने ‘विश्वास जागा दे’ कविता में मीरा के प्रति अनन्य विश्वास जताया है, चित्रा कोहली ने ‘मीरा महान’ कविता में मीरा को महान बताया है, चाँद मोहम्मद होसी ने ‘मेड़तणी मीराबाई’ कविता में मीरा को मेड़ता की रानी मीरा कहा है, दीपचन्द सुथार राजस्थान ने ‘मीरा’ कविता में मीरा को भक्तों की आस्था का स्वरूप बताया है, नेहा सरोज वर्मा चंडीगढ़ ने ‘मीरा से कृष्ण होना…’ कविता में मीरा को कृष्णमयी कहा है, प्रतिभा सिंह ने ‘मीरा प्रेम दीवानी हुई मस्तानी’ में मीरा को प्रेम दीवानी मस्तानी कहा है, प्रेम बिहारी मिश्र ने ‘मैं मीरा का पागलपन हूँ’ कविता में मीरा जैसा प्रेम का पागलपन है, प्रो. सुन्दर दास कथूरिया ने ‘मीराभाव’ कविता में मीरा में बसे विभिन्न भाव को दर्शाया है, प्रियंका बाजपेयी ने ‘मीरा तो सत्य’ कविता में मीरा को सत्य बताया है, प्रियंका शर्मा ने ‘मैं भी मीरा बन जाऊं’ कविता में स्वयं मीरा बनने के लिए मीरा प्रेरणास्रोत माना है, मनीषा गिरि भोपाल से ‘मीरा का प्रेम भाव’ विषय कविता में प्रेम के विभिन्न भाव बताये हैं, मलिक राजकुमार ने ‘मीरा की लीला’ का वर्णन किया है, मुकेश पोपली ने ‘एक दासी का संदेश’ नामक कविता द्वारा एक राजकुमारी का प्रेम में दासी रूप बताया है, रेखा दुबे ने ‘छलिया’ नामक कविता में मीरा को बावरी राधा का नाम दिया है, रसवती खरे ने ‘हेरत है घनश्याम तुम्हें कोई’ में सावन मौसम में मीरा के वियोग प्रेम का वर्णन किया है।

राजेंद्र प्रसाद जोशी ने मीरा को कृष्ण प्रेम में ‘मीरा रंग गई’ और ‘कृष्णमय हो गई’ कविता में गिरधर रंग प्रीत लगाकर रंग गई बताया है, फिल्म निर्माण एवं निर्देशक मुंबई से राजकमल ने ‘वारी रे मैं वारी श्याम पिया पे’ दिव्य प्रेम मीरा फिल्म में इस कविता को गीत रूप में प्रस्तुत किया है, लालित्य ललित नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली ने मीरा को ‘प्रेम का प्रतीक’ बताया है, विजय लक्ष्मी ‘विभा’ इलाहाबाद ने ‘आंखिया पानी पानी’ ने मीरा की आंखों में प्रेम रूपी पानी भर आया है, श्यामसिंह राजपुरोहित, आई.ए.एस. राजस्थान से ‘मैं मीरा हो जाऊं’ में खुद को मीरा बन जाने का दिव्य भाव प्रकट किया है, श्याम सुंदर सिखवाल ने ‘खुद श्याम में ही समा गई मीरा’ जैसा सुन्दर भाव प्रकट किया है, साधना कुमारी दिल्ली विश्वविद्यालय ने ‘मीरा की साधना’ में अपने नाम रूपी साधना का वर्णन किया है, सीमा सक्सेना ने बरेली से ‘श्याम तू मेरो’ कविता में मीरा का श्याम दीवानी बताया है, सुनील कुमार सलैडा जम्मू विश्वविद्यालय जम्मू ने ‘श्याम की दीवानी मीरा’ में मीरा की लग्न को राधा, रुकिमणी आदि से प्रेम का वर्णन किया है, हेमा वृंदावन उत्तर प्रदेश ने ‘मीरा, ये दो अक्षर’ में मीरा के दर्द और आंसुओं को केन्द्रित किया है, रूपाली पीएच.डी अंग्रेजी ने ‘Can I be Meera?’ कविता में, स्वयं से प्रश्न किया है, क्या मैं मीरा बन सकती हूँ? अर्थात् मीरा जैसा प्रेम, त्याग, सहानुभूति, सहनशीलता आदि इस युग में भी लगातार स्वयं में संजो सकती हूँ।

मीरा: कविता-संग्रह में सभी कविताएं मीरा के कृष्ण के प्रति अनन्य प्यार, भक्ति, स्त्री चेतना, त्याग, अलौकिक प्रेम को प्रदर्शित करती हैं। मीरा की कविताएं पढ़कर और समीक्षा लिखते लिखते मैं भी मीरामय हो गया हूं।

डॉ. मंजु रानी की ऐसी सुंदर और अद्भुत ‘मीरा: कविता-संग्रह’ प्रकाशित होने पर इन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। उनकी कलम निरन्तर ऐसे ही समाज में प्रेम, भाईचारा बढ़ाती रहें और प्रेम व शान्ति का संदेश फैलाती रहें।

‘मीरा: कविता-संग्रह’ पुस्तक में 51 कविताओं के बाद प्रसिद्ध विद्वानों और महान हस्तियों ने डॉ. मंजु रानी को शुभकामनाएं एवं आशीर्वचन दिया है जिसमें डॉ. रमा, प्राचार्य हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली, डॉ. सुधा उपाध्याय, जानकी देवी कॉलेज, डॉ. संगीता वर्मा, कमल नेहरू कॉलेज, सूरज प्रकाश, रूबी यादव, महाराजा रघुवीर सिंह, डॉ. निशान्त जैन और अभिनेत्री स्नेहा गागोई आदि नाम उल्लेखनीय हैं।
समीक्षक: डॉ. गुलाबचन्द पटेल, कवि लेखक अनुवादक, अहमदाबाद, गुजरात