भारतीय गौरव अवार्ड (2016)
शनिवार, दिनांक 17 सितम्बर, 2016
जे.के. मीडिया और साहित्यकार डॉ. मंजु रानी द्वारा अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में भारतीय गौरव अवार्ड (2016) का आयोजन दिनांक 17.09.2016, शनिवार, 4 बजे सायं काॅन्स्टिट्यूशनल क्लब, रफी मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि बीजेपी नेत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ, मिसेज यूनिवर्स वेस्ट एशिया रूबी यादव, प्रोफेसर महेश कुमार, प्रोफेसर कपाही, जे.के. मीडिया के सब एडिटर प्रदीप आर्यन और साहित्यकार डॉ. मंजु रानी थीं। इन अतिथिगणों ने समारोह के विषय ‘संघर्षशील स्त्रियों की जीवन यात्रा’ पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
इस समारोह में डॉ. मंजु रानी द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘स्त्री संघर्ष और मीरा’ का भी विमोचन किया गया जो कि प्रसिद्ध कृष्ण भक्त मीरा पर आधारित है। इस समारोह में अलग-अलग क्षेत्रों में संघर्षरत महिलाओं को भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।
संतोष दहिया (राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित), सुमन रेखा कपूर (समाज सेवी), इंदिरा मिश्रा (सामाजिक कार्यकत्र्ता), प्रज्ञा (लेखिका, कहानीकार), रेनू माधवी पांचाल (कवियित्री), रजनी पंवार (संपादक नमस्कार दुनिया), निशि रस्तोगी (नृत्यांगना), प्रतिभा सिंह (समाज सेविका), लुके (शिक्षक), कैलाशी मीना (लेखिका), नवीन चैधरी (महिला जाट सेना, अध्यक्ष), गौरी मिश्रा (गायिका), डाॅ. सीता शर्मा (शिक्षक), मीता राव (भारत की प्रथम मलिा कार्टूनिस्ट), इति गुप्ता (समाज सेविका), समता जैन (नेता व समाज सेविका), पुनीत चानना (टेरो, कार्ड रीडर), मोहिनी श्रीवास्तव (समाज सेविका), अंचला मनोचा (समाज सेविका), अनीता पराशर (समाज सेविका), शैलजा गुप्ता (समाज सेविका)
डॉ. मंजु रानी एवं माध्यम साहित्यिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘मीरा काव्य की प्रासंगिकता आज के संदर्भ में’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी 20 सितम्बर, 2015 रविवार को सायं 5 बजे गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, आधा एजुकेशन सोसायटी के पास दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, आई.टी.ओ. दिल्ली में सम्पन्न हुई।
इस संगोष्ठी में सर्वप्रथम उद्घाटनकर्ता के रूप में जाने-माने (वरिष्ठ आलोचक एवं साहित्यकार) डाॅ. विश्वनाथ त्रिपाठी जी रहे। जिन्होंने ‘मीरा की पदावली, हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास’ जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकों को अपने लेखन कार्य में पूर्ण किया है।
सिरोही माउंट आबू राजस्थान के पधारे महाराजा श्री रघुवीर सिंह जी मुख्य अतिथि के रूप में संगोष्ठी में विद्यमान रहे तथा मीरा के विषय में तर्क सहित महत्त्वपूर्ण जानकारियां अपने वक्तव्य में दीं। किस प्रकार मीरा राजघराने से जोगन का रूप धारण कर लेती है। प्रत्येक पहलुओं पर विशिष्ट चर्चा की।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. गोपेश्वर सिंह अध्यक्षता के रूप में विद्यमान रहे। मीरा पर स्वयं का शोध होने के कारण सूक्ष्म और तार्किक वक्तव्य दिया जिनकी जानकारी सिर्फ एक सच्चे शोधकत्र्ता को ही हो सकती है। प्रो. गोपेश्वर सिंह ने मीरा के त्याग, प्रेम की सराहना करते हुए संगोष्ठी की अध्यक्षता की डोर संभाली।
इसी दौरान मुख्य वक्ता डाॅ. महेश कुमार, किरोड़ीमल काॅलेज के एसोसिएट के पद पर कार्यरत ने जो मेरे अर्थात् डॉ. मंजु रानी जी के शोध-निदेशक के रूप में भी रहे हैं। डॉ. मंजु रानी की पीएच.डी. डाॅ. महेश कुमार के सानिध्य में सम्पन्न हुई है। जिन्होंने मीरा को महान कवियत्री बताया। साथ ही मीरा को भारतीय नारी का गौरव रूप भी बताया।
‘मीरा काव्य की प्रासंगिकता आज के संदर्भ में’ विषय पर डॉ. मंजु रानी ने भी अपने खुले विचार रखे। मीरा केवल उस समय की ही नारी नहीं अपितु आज के समय में भी प्रत्येक स्त्री में छुपी वह नारी है जो पग-पग पर अपने प्रेम प्यार को जहर के प्याले की तरह घुट भरती रहती हैं।
संगोष्ठी की निवेदक शिल्मा श्रीवास्तव वरिष्ठ उपाध्यक्ष माध्यमिक साहित्यिक संस्थान का महत्त्वपूर्ण सहयोग इस संगोष्ठी में बना रहा।
सहयोग के रूप में सुधांशु जी, प्रदीप कुमार जी, मनीषा गिरी, भावना, विशाल, आशुतोष, अमन, वैभव आदि का संगोष्ठी में साथ बहुत महत्त्वपूर्ण बना रहा।
शुक्रवार, दिनांक 18 मई, 2012
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर एवं डॉ. मंजु रानी शोधार्थी, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय संगोष्ठी ‘मध्यकालीन बोध और मीरा काव्य’ 18 मई, 2012 को सम्पन्न हुई। हस्तलिखित ग्रंथों में लिखित मीरा संबंधी साहित्य के प्रति भावी पीढ़ी को उन्मुख होने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी के सर्वप्रथम उद्घाटन सत्र की शुरुआत 10 बजे प्रातः श्री कमल मेहता (माननीय कुलपति जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय) जोधपुर कुलपति जी ने कहा कि मीरा के राजस्थान के होने की बात पर सभी गर्व करते हैं तथा अध्यक्षता श्री श्यामसिंह राजपुरोहित (आर.ए.एस.) निदेशक, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर के द्वारा हुई। उद्घाटन सत्र में श्याम सिंह राजपुरोहित ने मीरा की अनन्य भक्ति के संदभ्र में विचार रखे। डाॅ. वसुमति शर्मा ने भी इस अवसर मीरा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि डाॅ. विनीता रानी (जानकी देवी महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली) ने मीरा को संघर्षशील स्त्री बताते हुए मीरा को एक शक्ति और बल दोनों की प्रेरणा देने वाली महान स्त्री का दर्जा दिया है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रेम सिंह (दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली) ने मीरा के काव्य के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की तथा अध्यक्षता करते हुए प्रो. गोपेश्वर सिंह (विभागाध्यक्ष हिन्दी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली), ने मीरा को अपने आराध्य के प्रेम व त्याग की साक्षात् प्रतिमूर्ति बताया। पर इसी सत्र में अकादमिक पेपर वाचन भी किया जिनमें से डाॅ. मलिक राजकुमार, डाॅ. गोपीकिशन, डाॅ. नेहा आदि प्रमुख थे।
संगोष्ठी का द्वितीय सत्र 3 बजे प्रारम्भ हुआ जिसमें विशिष्ट अतिथि डाॅ. कल्याण सिंह शेखावत (से.नि. विभागाध्यक्ष राजस्थानी) जेएनयू. जोधपुर थे। संगोष्ठी के दौरान डाॅ. कल्याण सिंह जी ने मीरा को महान कवियत्री बताया। आर.एन. अरविन्द, आईएएस मुख्य अतिथि के रूप में रहे। सत्र का संयोजन डाॅ. देवेन्द्र गौतम जी (जेएनयू. जोधपुर) ने किया।
समापन सत्र में सिरोही के पूर्व नरेश रघुवीर सिंह जी ने मीरा के जन्म, विवाह, यात्रा आदि से संबंधित भ्रांतियों पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी की आयोजिका सुश्री डॉ. मंजु रानी शोधार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली जोकि अभी मीरा पर शोध करने की शुरुआती दौर पर अपना पहला पड़ाव ही रखती है। मीरा के प्रेम, त्याग, सहनशीलता तथा मीरा की भाषा पर अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत किये।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य वैष्णव भक्ति एवं जनमानस की दीपशिखा मीराबाई के भक्ति काव्य का पुनर्मूल्यांकन करना रहा है। मीराबाई का भक्ति काव्य संगीत काव्य और सगुण भक्ति की वह त्रिवेणी जिसमें संपूर्ण भावना एवं भारतीय नारी का गौरव रूप प्रगट हुआ है।