मीरा के प्रति स्नेह के भाव बचपन से ही घर के वातावरण में तैयार हो चुका था. माँ परिवार में हमेशा आध्यात्मिक माहौल बनाकर रखती रही हैं. बड़ों का आदर सम्मान नाना जी से दो महीने की स्कूल की छुट्टियों में सीखकर आते थे. घर में सबसे छोटी होने के कारण सभी का लाड़-प्यार मुझे भरपूर मिलता रहा. बड़ी दीदी जिनसे कई बार गलतियों पर डांट के साथ प्यार के मार भी खायी. दो बड़े भाई जो हमेशा से ढाल बनकर जीवन में सहयोगी बने रहे. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मीरा तक पहुँचने में केवल मेरा नहीं, पूरे परिवार मित्रों का सहयोग निरन्तर मिलता रहा.
स्कूल से कॉलेज का सफ़र बहुत ही आनन्दमय रहा. जब मेरी एम० फिल पूरी हुई और पीएचडी के लिए मुझे विषय की तलाशी करनी थी. तब मेरे मन में बार-बार एक ही ख्याल आया की मैं एक स्त्री हूँ, मुझे उस स्त्री के रचना कर्म पर ही अपना विषय केन्द्रित करना है जो समाज में अपने संघर्ष और बलिदान के लिए जानी जाती हैं. महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान आदि आधुनिक काल की स्त्रियां मेरे मन मस्तिषक पर छाई रहीं, परन्तु महादेवी वर्मा से भी पहले मेरे मन में मीरां के जीवन और रचना कर्म पर कार्य करने के लिए मुझे मीरां के व्यक्तित्व ने ही प्रेरित किया. मीरां अपने आप में अनूठी संत साधिका हैं, वह अपने गुणों और संघर्ष के कारण पूरे स्त्री जगत के लिए मिसाल हैं. इसलिए शोध के बाद मीरां और एक वेबसाइट शुरू करने का निर्णय भी लिया और यह प्रयास इस रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है.
डॉ. मंजु रानी द्वारा लिखित/ सम्पादित पुस्तकें
वर्ष | पुस्तक / प्रकाशक | |
2019 | मीरा: कविता संग्रह ( सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर ) | |
2017 | हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य ( मानसरोवर प्रकाशन, नोएडा ) | |
2013 | काव्य भाषा और मलूकदास ( सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर ) | |
2013 | मीरा: मेरी यात्रा ( सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर ) | |
2012 | दलित साहित्य: स्वानुभूति और सहानुभूति ( सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर ) | |
2011 | भक्ति साहित्य में प्रेमाभिव्यक्ति और मीरा ( सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर ) | |
2011 | स्त्री संघर्ष और मीरा (तब और अब) ( सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर ) |