जाणाँ रे मोहणा, जाणाँ थारी प्रीत

जाणाँ रे मोहणा, जाणाँ थारी प्रीत।।टेक।।

प्रेम भगति री पैड़ा म्हारो, अवरु ण जाणाँ नीत।

इमरत पाइ विषाँ क्यूँ दीज्याँ, कूँण गाँव री रीत।

मीराँ रे प्रभु हरि अविणासी, अपणो जणरो मीत।।46।।