जाणाँ रे मोहणा, जाणाँ थारी प्रीत January 30, 2019February 16, 2019 meera_admin Views : जाणाँ रे मोहणा, जाणाँ थारी प्रीत।।टेक।। प्रेम भगति री पैड़ा म्हारो, अवरु ण जाणाँ नीत। इमरत पाइ विषाँ क्यूँ दीज्याँ, कूँण गाँव री रीत। मीराँ रे प्रभु हरि अविणासी, अपणो जणरो मीत।।46।।