जावादे जावादे जोगी किसका मीत

जावादे जावादे जोगी किसका मीत।।टेक।।

सदा उदासी रहै मोरि सजनी, निपट अटपटी रीत।

बोलत वचन मधुर से मानूँ, जोरत नाहीं प्रीत।

म्हें जाणूँ या पार निभैगी, आँड़ि चलै अधबीच।

मीराँ के प्रभु स्याम मनोहर, प्रेम पियारा मीत।।47।।