जोगिया से प्रीत कियाँ दुख होई

जोगिया से प्रीत कियाँ दुख होई।।टेक।।

प्रीत कियाँ सुख ना मोरी सजनी, जोगी मित न कोई।

रात दिवस कल नाहिं परत है, तुम मिलियाँ बिनि मोई।

ऐसो सूरत या जग माँही फेरि न देखी सोई।

मीराँ रे प्रभु कब रे मिलोगे, मिलियाँ आँणद होई।।43।।