णेणाँ वणज बसावाँ री

प्रेमाभिलाषा

णेणाँ वणज बसावाँ री, म्हारा साँवराँ आवाँ।।टेक।।

णेणाँ म्हाराँ साँवरा राज्याँ, डरता पलक णा लावाँ।

म्हारा हिरदाँ बस्याँ मुरारी, पल पल दरसण पावाँ।

स्याम मिलन सिंगार सजावाँ, सुखरी सेज बिछावाँ।

मीराँ रे प्रभु गिरधर नागर, बार बार बलि जावाँ।।52।।