तनक हरि चितवाँ म्हारी ओर October 24, 2018February 16, 2019 meera_admin Views : तनक हरि चितवाँ म्हारी ओर ।। टेक।। हम चितवाँ थें चितवो णा हरि, हिवड़ों बड़ो कठोर। म्हारी आसा चितवणि थारी, ओर णा दूजा दोर। उभ्याँ ठाढ़ी अरज करूँ छूँ करताँ करताँ भोर। मीराँ रे प्रभु हरि अविनासी देस्यूँ प्राण अकोर ।। 5 ।।