मीराँ मगन भई हरि के गुण गाय

राग खम्माच

मीराँ मगन भई हरि के गुण गाय।।टेक।।

साँप पिटारा राणा भेज्यो, मीराँ हाथ दियो जाय।

न्हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय।

जहर का प्याला राणा भेज्या, अमृत दीन्ह बनाय।

हाथ धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय।

सूल सेज राणा ने भेजी, दीज्यो माराँ सुलाय।

साँझ भई मीराँ सोवण लागी, मानो फूल बिछाय।

मीराँ के प्रभु सदा सहाई राखे बिघन हटाय।

भजन भाव में मस्त डोलती गिरधर पर बलि जाय।।31।।