सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हाँरो काँई करलेसी

राग पहाड़ी

सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हाँरो काँई करलेसी।

म्हें तो गुण गोविन्द का गास्याँ, हो माई।।टेक।।

राणोजी रूठ्याँ बाँरो देस रखासीं।

हरि रूठ्याँ कुम्हलास्याँ, हो माई।

लोक लाज की काण न मानूँ।

निरभै निसाणाँ धुरास्याँ हो माई।

स्याम नाम रो झाझ चलास्याँ।

भवसागर तर जास्याँ हो माई।

मीराँ सर्ण सँवल गिरधर की।

चरण कँवल लपटास्याँ, हो माई।।28।।