मीरा के काव्य में प्रेम और भक्ति की युगांतकारी भूमिका

मीराबाई की गणना भारत के प्रधान भक्तों में की जाती है। कृष्ण की भक्ति साहित्य का भक्तिकाल में एक विशिष्ट स्थान है। मीरा कृष्ण भक्त रचनाकार कवि थी‌।वह सांसरिक बंधनों से निराश होकर श्री कृष्ण की शरण ली और प्रेम तथा भक्ति के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाया।उनकी कविताओं में स्त्री पराधीनता […]

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मतवाली मीराँ

पश्चिमी भारत की मरूभूमि में लगभग पाचसो वर्ष पूर्व एक कोयल रोई थी, नैनों का आकाश बरसा था, भक्ति की चांदनी छिटकी थी | कृष्ण की एक आराधिका ने अपने प्रेम की तरलता से रेगिस्तान के कण कण को भिगो दिया था | एक राजकन्या, एक राजवधुने सारी सुख सुविधा, भौतिक समृद्धि को ठुकरा कर […]

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