गिरधर रीसाणा कोन गुणाँ

गिरधर रीसाणा कोन गुणाँ ।।टेक।।

कछुक ओगुण हम पै काढ़ो, म्हें भी कान सुणाँ।

मैं तो दासी थाराँ जनम जनम की, थें साहब सुगणाँ।

मीराँ कहे प्रभु गिरधर नागर, थारोई नाम भणाँ।।50।।