जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल

जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल।।टेक।।

हिल मिल बात बणावत मीठी, पीछे जावत भूल।

तोड़त जेज करन नहिं सजनी, जैसे चंबेली के फूल।

मीराँ कहै प्रभु तुमरे दरस बिन, लगत हिवड़ा सूल।।44।।