जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल January 30, 2019February 16, 2019 meera_admin Views : जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल।।टेक।। हिल मिल बात बणावत मीठी, पीछे जावत भूल। तोड़त जेज करन नहिं सजनी, जैसे चंबेली के फूल। मीराँ कहै प्रभु तुमरे दरस बिन, लगत हिवड़ा सूल।।44।।