जोगी मत जा मत जा मत जा

अनुनय

जोगी मत जा मत जा मत जा, पाँइ परूँ मैं तेरी चेरी हौं।।टेक।।

प्रेम भगति को पैड़ो ही न्यारो हमकूँ गेल बता जा।

अगर चँदण की चिता रचाऊँ, अपणे हाथ जला जा।

जल बल भई भस्म की ढेरी, अपणे अंग लगा जा।

मीराँ कहै प्रभु गिरधर नागर जोत में जोत मिला जा।।36।।