राग सुख सोरठ
थाँणे काँई काँई बोल सुणावा म्हाँरा साँवराँ गिरधारी।।टेक।।
पूरब जणम री प्रीति पुराणी, जावा णाँ गिरधारी।
सुन्दर बदन जोवताँ साजण, थारी छबि बलिहारी।
म्हारे आँगण स्याम पधाराँ, मंगल गावाँ नारी।
मोती चैक पुरावाँ णेणाँ, तण मण डाराँ वारी।
चरण सरण री दासी मीराँ, जणम जणम री क्वाँरी।।41।।