थें जीम्या गिरधरलाल

थें जीम्या गिरधरलाल।

मीराँ दासी अरज कर्याँ छै, म्हारों लाल दयाल।

छप्पण भोग छतीसाँ विंजण, पावाँ जण प्रतिपाल।

राजभोग आरोग्याँ गिरधर, सणमुख राखाँ थाल।

मीराँ दासी सरणा ज्याशी, कीज्याँ वेग निहाल।।37।।