बरजी री म्हाँ स्याम विणा न रह्याँ

राग कामोद

बरजी री म्हाँ स्याम विणा न रह्याँ।।टेक।।

साधाँ संगत हरि सुख पास्यूँ जगसूँ दूर रह्याँ।

तण मण म्हाराँ जावाँ जास्याँ, म्हारो सीस लह्याँ।

मण म्हारो लग्याँ गिरधारी जगराँ बोल सह्याँ।

मीराँ रे प्रभु हरि अविनासी, थारी सरण गह्याँ।।24।।