राग तिलंग
मण थें पारस हरि रे चरण ।। टेक।।
सुभग सीतल कँवल कोमल, जगत ज्वाला हरण।
जिण चरण प्रहलाद परस्याँ, इन्द्र पदवी धरण।
जिण चरण ध्रुव अटल करस्याँ, सरण असरण सरण।
जिण चरण ब्रह्माण्ड भेट्याँ, नखसिखाँ सिरी धरण।
जिण चरण कालियाँ नाथ्याँ, गोप लीला करण।
जिण चरण गोबरधन धारयाँ गरब मघवा हरण।
दासि मीराँ लाल गिरधर, अगम तारण तरण ।। 1 ।।