माई साँवरे रँग राँची

राग पटमंजरी

माई साँवरे रँग राँची।।टेक।।

साज सिंगार बाँध पग घूँघर, लोकलाज तज णाँची।

गयाँ कुमत लयाँ साधाँ संगत स्याम प्रीत जग साँची।

गायाँ गायाँ हरि गुण निसदिन, काल ब्याल री बाँची।

स्याम विणा जग खाराँ लागाँ, जगरी बाताँ काँची।

मीराँ सिरि गिरधर नट नागर भगति रसीली जाँची।।17।।