राणो म्हाँने या बदनामी लगे मीठी

राणो म्हाँने या बदनामी लगे मीठी।।टेक।।

कोई निन्दो कोई बिन्दो मैं चलूँगी चाल अपूठी।

साँकड़ली सेर्याँ जन मिलिया क्यूँ कर फिरूँ अपूठी।

सतसंगति मा ज्ञान सुणै छी, दुरजन लोगाँ नै दीठी।

मीराँ रो प्रभु गिरधर नागर, दुरजन जलो जा अँगीठी।।57।।