हेली म्हाँसूँ हरि बिनि रह्यो न जाय

राग पहाड़ी

हेली म्हाँसूँ हरि बिनि रह्यो न जाय।।टेक।।

सास लड़े मेरी नन्द खिजावै, राणा रह्या रिसाय।

पहरो भी राख्यो चैकी बिठार्यों, ताला दियो जड़ाय।

पूर्व जनम की प्रीत पुराणी, सो क्यूँ छोड़ी जाय।

मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, अवरु न आवे म्हाँरी दाय।।32।।