धूतारा जोगी एकर सूँ हँसि बोल।।टेक।।
जगत वदीत करौ मनमोहन, कहा बजावत ढोल।
अंग भभूति गले मिगछाला, तू जन गुड़िया खोल।
सदन सरोज बचन की सोभा, ऊभी जोऊँ कपोल।
सेली नाद बभूत न बटवो, अजूँ मुनी मुख खोल।
चढ़ती बैस नैण अणियाले, तू घरि घरि मत डोल।
मीराँ के प्रभु हरि अविनासी, चेरी भई बिन मोल।।48।।