नहिं सुख भावै थारो देसलड़ो रँगरूड़ो

राग खम्माच

नहिं सुख भावै थारो देसलड़ो रँगरूड़ो।।टेक।।

थाँरे देसाँ में राणा साध नहीं छै, लोग बसै सब कूड़ो।

गहणाँ गाँठी राणा हम सब त्याग्या, त्याग्यो कर रो चूड़ो।

काजल टीकी हम सब त्याग्या, त्याग्यो छै बाँधन जूड़ो।

मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, वर पायो छै पूरो।।26।।