राग पूरिया कल्याण
माई म्हाँ गोविन्दा, गुण गास्याँ।।टेक।।
चरणाम्रत रो नेम सकारे, नित उठ दरसण जास्याँ।
हरि मन्दिर माँ निरत करास्याँ, घूँघर्याँ धमकास्याँ।
स्याम नाम रो झाझ चलास्याँ, भवसागर तर जास्याँ।
यो संसार बीड़ रो काँटो, गेल प्रीत अँटकास्याँ।
मीराँ रे प्रभु गिरधर नागर, गुन गावाँ सुख पास्याँ।।25।।