म्हारो गोकुल रो ब्रजवासी

शब्द

म्हारो गोकुल रो ब्रजवासी ।। टेक।।

ब्रजलीला लख जण सुख पावाँ, ब्रजवणताँ सुखरासी।

णाच्याँ गावाँ ताल बजावाँ, पावाँ आणंद हाँसी।

णन्द जसोदा पुत्र री, प्रगटयाँ प्रभु अविनासी।

पीताम्बर कट उर बैजणता, कर सोहाँ री बाँसी।

मीराँ रे प्रभु गिरधर नागर, दरसण दीज्यो दासी ।।  6 ।।