पुस्तक : मीराबाई उर्दू शायरी में (नग़मा-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा)
सम्पादक : हाशिम रज़ा जलालपुरी
प्रकाशक : क्रियटिव स्टार (पब्लिकेशन्स)
संस्करण : 2019 प्रथम
देश दुनिया में अनूठी कृष्ण भक्ति के लिए भक्त शिरोमणि जैसा खिताब पाने वाली मीराबाई के पद इस पुस्तक में उर्दू/हिन्दी (मीराबाई उर्दू शायरी में) भाषा में अनुवाद किया गया है।
मीराबाई हिन्दोस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी शायरा हैं। दुनिया-ए-शायरी में सिर्फ दो शायरात ऐसी हैं जिन्हें आफताब और माहताब का मक़ाम दिया जा सकता है। पहली क़दीम यूनान की शायरा सैफो (Sappho) और दूसरी हमारे हिन्दोस्तान की शायरा- मीरा। दोनों की शायरी इश्क़िया शायरी है, दोनों की शायरी शिहते कज़्बात की शायरी है और दोनों की शायरी औरत के एहसासात की शायरी है। सैफो (Sappho) को यूनान के एक
खूबसूरत मल्लाह से जिस्मानी इश्क़ था जबकि मीराबाई को कृष्ण से रूहानी इश्क़। जिस्मानी इश्क़, जिस्म और उसके ज़ाहिरी हुस्न-ओ-जमाल का मोहताज होता है जबकि रूहानी इश्क़, जिस्म और जिस्मानियत से आज़ाद, अक़ीदत और पाकीज़गी से इबारत होता है। शायद यही वजह है कि तकरीबन पाँच सौ बरस गुज़र जाने के बाद भी मीराबाई का कलाम लाखों करोड़ों इंसानों के दिल-ओ-दिमाग़ पर रंग और खुशबू की तरह तारी है।
मीराबाई ने अपनी शायरी में राजस्थानी, ब्रज भाषा, अवधी, गुजराती, अरबी, फ़ारसी और उर्दू ज़बानों के अल्फाज़ का इस्तेमाल किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में 11 अध्याय, 209 पद, 1510 अशआर का वर्णन किया गया है। विनय प्रार्थना, प्रीत, विरह, संयोग, भाग्य लेखा, ज्ञान वथि, वंशी, माधुर्य प्रकृति, उलाहना, होली, राणा और पुस्तक के अन्त में सन्दर्भ ग्रंथ सूची का वर्णन है। मीराबाई के पदों को उर्दू/हिन्दी भाषा में ट्रांसलेट (अनुवाद) करना इस पुस्तक को महत्वपूर्ण बनाती है।