सखि म्हाँरो सामरिया णै

सखि म्हाँरो सामरिया णै, देखवाँ कराँ री।।टेक।।

साँवरो उमरण साँवरो सुमरण, साँवरो ध्याण धराँ री।

ज्याँ ज्याँ चरण धरणाँ धरणी धर, त्याँ त्याँ निरत कराँ री।

मीराँ रे प्रभु गिरधर नागर, कुंजाँ मैल फिराँ री।।53।।